फलक पे चाँद-सितारे भी साथ देते हैं...
कभी तो हाथ बढ़ा कर उन्हें छुआ होता..!!
जमीन है तो मयस्सर यहाँ सभी के लिए...
बस आसमान में चाहें तो घर नहीं होता..!!
अजीब शै है ये यारों गम-ए-मुहब्बत भी...
कि जितना लुत्फ है इसमें कहीं नहीं होता..!!
तू मेरे साथ,मेरे पास यूं तो है हर वक़्त...
मैं तेरे पास रहूँ बस यही नहीं होता...!!
जानती हूँ,मानता है मुझे गजल अपनी...
गा सके मुझको तरन्नुम में ये नहीं होता..!!