मंगलवार, 24 जुलाई 2012
शुक्रवार, 20 जुलाई 2012
बस एक ख्वाब.....
आसमां लगे भरा-भरा कुछ इस तरह उडाएं....!
कभी खींच कर एक बादल का टुकड़ा
अपने घर की किसी दीवार पे सजाएं....!
कभी खोल दे खिड़कियाँ सारी घर की
फलक से धनक को ज़मीन पर उतारें....!
पहन कर कभी धानी चूनर तुम्हारी
छनन छन,छनन अपनी पायल बजाये...!
वो उड़ता सा आँचल,वो बिखरी सी जुल्फ़ें
वो गुनगुन सी बदरी,वो रिमझिम फुहारें...!
वो गालों की लाली,वो माथे के बिंदिया
इन आँखों में काजल सा तुमको सजाएं...!
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