शनिवार, 25 मई 2013

तुम्हारे लिए....







ज़ज्बातों के भरे समंदर जाने कैसे...कब..सूख गए थे
मेरी इन आँखों में आँसू आते - आते  ऐसे रूठ गए थे !

इक तेरे  होने  ने जाने..क्या-क्या दे डाला मुझको है 
हरसिंगार खिले चेहेरे पे....जो  पहले सूख  गए  थे !

एक अनजानी खुशबू मेरे हर सू ऐसी बिखर  गयी जब
अपने से भी लगे अजनबी....जब अपने भी गैर लगे  थे !


***पूनम***




सोमवार, 20 मई 2013

ख्वाब हो तुम या हकीकत....



जब भी छू लेती हूँ खाबों में तुझको मैं कभी..
हाथों  से  मेरे देर  तक तेरी  खुशबू  आए...!

दूर  से  भी तेरी आवाज़  मैं  सुन लेती हूँ.
जब कभी तू मुझे चुपके से बुलाने आये...!

मेरी  आँखों में  ये आँसू नहीं  हैं...पानी  है..
एक सूरत है जो हरदम इसमें झिलमिलाये...!

मेरे अल्फाज़ कभी सुन सके...तू मेरी जानिब
लफ्ज़ से तू नहीं आँखों से दिल में उतर जाये...!